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आज का युग आर्थिक युग है और अर्थ को लेकर एक कहावत मै हमेशा सुनता आ रहा हूँ "पैसा खुदा तो नही पर, खुदा से कम नहीं भी"कुछ चीजों को छोड़ दे तो आज पैसे से हर चीज खरीदी जाती है उसके बगैर बहुत से काम रुक जाते है या नहीं हो  पाते है . जिसके पास पैसा नहीं है वाही जनता ही उसके बगैर क्या काम रुका है या रुक जाता है . पैसा बिना मेहनत के नहीं मिलता फिर मेहनत मानसिक हो या शारीरिक और आज पैसा कमाने के लिए गाँव का मालिक किसान शहर की ओर पलायन कर रह है किसी का नौकर बनाकर मजदूरी कर रहा है . जबकि किसान स्वयं उत्पादक है जिसका प्रमुख व्यवसाय खेती है और जमीन उसकी कंपनी है . किसान की कंपनी में अति आवश्यक दैनिक उपयोग की वस्तुओं का उत्पादन होता है जैसे :- चावल, दाल, गेहूं, कपास, सरसों, तिल, फल, सब्जी - भाजी, आदि तयार होते है . इनके बैगैर मनुष्य जीवित ही नहीं रह सकता फिर भी किसान भाई को लाभ नहीं हो रहा उसकी कंपनी को घटा ही हो रहा है और वहा चिंतित है इस लिए मजदूरी करना उसे  अछा लग रहा है . जबकि पहले किसान खुश थे उनके द्वारा सबकी रोजी रोटी चलती थी और एक कहावत भी मैंने सुनी है "उतम खेती माद्यम बाण निकट चाकरी भिक निधान"और गाँव भी स्वावलंबी थे अपने आप में पूर्ण थे . आज खेती चिंता का विषय है  अगर यही हाल रहा तो तो गाँव उजाड़ जायेंगे हमें भूखे मरने की बारी आएगी . पर इस परिस्थिति के लिए हम ही जिम्मेदार है हमने ही जमीन को ख़राब किया है इसलिए किसान का चिंतित रहना स्वाभाविक है और उसकी चिंता के निम्न कारन भी है

  1. किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नही मिल रहा है 
  2. जमीन (किसान की कंपनी) को रासायनिक खाद के दुष्परिणाम से उर्वरा (उत्पादन) शक्ति का काम होते जाना 
  3. जमीन के मित्र कीटों का नस्ट होना .
  4. जमीन कड़ी होकर पानी का रिसाव (सोखना) नहीं होना .
  5. रासायनिक खाद के उपयोग से जमीन के सभी पौष्टिक तत्व का नस्ट हो जाना .
  6. रासायनिक खाद के प्रयोग के कारन कृषि उत्पादों में विटामिन की कमी होना और विषैले रसायनों का अन्न के द्वारा शारीर में प्रवेश


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जमीन अर्थात हमारी धरती माता किसान उसका बड़ा बेटा है जो उसकी सेवा में रत दिन लगा रहता है  इसा लिए किसान को "भूमि पुत्र" भी कहा जाता है . धरती माता को रसायनों से कैसे बचाया जाय उसे पता है सारी दुनिया की उमीद भी उसी पर टिकी है . धरती माता को बचने के उद्देश्य को लेकर हम भी एक प्रोजेक्ट में काम कर रहे है"SAVE THE MOTHER EARTH"  "धरती माता को बचाओ"  . जिसके लिए "ऑस्ट्रेलिया इन्वार्नमेंट टेक्नोलोजी" के विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिकों नें 12 -15 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद पौधों एवं जमीन के लिए तरल (द्रवरूप) संतुलित एवं पोषक तत्व से भरपूर खाद तत्व "पावर प्लांट ग्रो" बनाया है . जो जमीन में पौष्टिक तत्वों को संतुलित कर उसकी उर्वरक क्षमता में वृधि (बढ़ना) करता है और पौधों तक पौष्टिक तत्वों को पहुचता है . इसमें उन्होंने जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए 32 प्रकार के प्राकर्तिक (बियो) घटक एवं 14 प्रकार के सूक्ष्म जीवाणुओं को मिलाया है . जिनकी संख्या 1 ग्राम में दो करोड़ सत्रा लाख (2,1700,000) सूक्ष्म जीवाणु है . जो पानी और जमीन के संपर्क आते ही प्रभावशाली हो जाते है और हमारी जमीन से रासायनिक प्रभाव को नस्ट करते है ,  जमीन की उर्वरा शक्ति को बढाते है और हमें उपज भी अधिक होती है साथ ही पौष्टिक अन्न मिलता है . धरती को बचाने के उद्देश्य को लेकर यह प्रोजेक्ट है इसलिए इसका नाम है "मिशन ग्रीन प्लानेट"



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कृषकों के लिए विभिन्न लाभकारी कार्यक्रम

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  1. किसान भाइयों को 5 % से 35 % तक जैविक  खाद एवं कीटनाशक में छुट होगी  .
  2. कृषि और उद्दोग के समन्वित विकास हेतु नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा .
  3. पंजीकृत किसानों के बच्चों के लिए कम से काम या नि:शुल्क कंप्यूटर ट्रेनिंग की व्यवथा की जाएगी .
  4. ग्राम पंचायत स्तर पर "स्वावलंबन केंद्र" की स्थापना .
  5. सार्वजनिक पुस्तकालय एवं वाचनालय की स्थापना .
  6. नि:शुल्क रोजगार स्वरोजगार मार्गदर्शन
  7. कृषि , उद्धोग एवं ग्रामीण विकास सम्बन्धी जानकारी मोबाईल पर नि:शुल्क प्रदान करना .
  8. प्रत्येक ग्राम पंचायत का अपना वेब पेज (वेब साईट ) नि:शुल्क बनेगा .
  9. स्कूली शिक्षा की कमी को पूरा करने के लिए बाल संस्कार केंद्र की स्थापना होगी .
  10. ग्राम पंचायत में ग्रामीण संसाधनों पर आधारित कुटीर उद्धोग और ग्रामोद्धोग की स्थापना .
  11. स्वछता अभियान , व्यसन मुक्ति , वर्षा जल संरक्षण , वृक्षा रोपण , आदि कार्यक्रम गाँव में संचालित किये जायेंगे .
  12. कृषि की वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण भी नि:शुल्क दिया जाएगा 

ग्राम प्रोफाइल


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